देवभूमि में गुंजायमान होगी देववाणी, राजभाषा संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने बनाई योजना
देवभूमि उत्तराखंड की राजभाषा देववाणी संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने सभी 13 जिलों में एक-एक संस्कृत ग्राम चिह्नित कर लिया है। ये सभी गांव कामकाज, बोलचाल और प्रतीकों में देववाणी से गुंजायमान होंगे। इसके अलावा संस्कृत शिक्षा की बुनियाद को मजबूती देने के लिए हर जिले में पहली से पांचवीं तक पांच संस्कृत विद्यालय खोलेगी। दरअसल, प्रदेश में केवल एक ही विद्यालय ऐसा है जहां पहली कक्षा से संस्कृत पढ़ाई जा रही है।
इस दिशा में संस्कृत शिक्षा विभाग ने संस्कृत को सरकारी तंत्र और आम लोगों के बीच लोकप्रिय बनाने के लिए कार्ययोजना तैयार की है। सचिव संस्कृत शिक्षा दीपक कुमार के मुताबिक, अगले एक-दो साल में संस्कृत शिक्षा की दिशा में चरणबद्ध ढंग से नई पहल की जाएगी। संस्कृत ग्राम चिह्नित करने के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता गठित कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दे दी है।
हर जिले में सरकार की पांच ऐसे संस्कृत विद्यालय खोलने की योजना है, जहां पहली से पांचवी तक संस्कृत शिक्षा दी जाए। यानी सरकार कम से कम हर ब्लाॅक में एक ऐसा संस्कृत प्रवेशिका (विद्यालय) खोलना चाहती है। फिलहाल परिषद के पास देहरादून से चार और हरिद्वार से एक प्रस्ताव आया है। अन्य जिलों से भी प्रस्ताव आ रहे हैं। प्रदेश में 100 से अधिक संस्कृत विद्यालय व महाविद्यालय हैं, जिनमें तकरीबन सभी में कक्षा छह से शिक्षा दी जाती है।